SYL Vivad: SYL विवाद पर पंजाब के सीएम मान ने दिया बड़ा बयान, हरियाणा को लगा झटका

 
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  SYL Vivad: सतलुज-यमुना लिंक नहर (SYL) विवाद पर हरियाणा और पंजाब के के सीएम और अधिकारियों की मीटिंग बिना किसी नतीजे से संपन्न हुई। 1.20 घंटे तक चली मीटिंग में दोनों राज्य अपने पुराने स्टैंड पर कायम रहे। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मीटिंग खत्म होने के बाद कहा कि हम अपने पुराने स्टैंड पर कायम है। हमारे पास देने के अतिरिक्त पानी नहीं है। 

वहीं, हम हरियाणा को यमुना से पानी देने का ऐतराज नहीं करते है। सीएम भगवंत मान ने कहा कि सतलुज अब नदी नहीं नाला बनकर रह गया है। पंजाब का 70 फीसदी एरिया डॉर्क जोन में चला गया है। पानी काफी गहराई में चला गया। ऐसे में ज्यादा क्षमता वाली मोटरों का प्रयोग करना पड़ रहा है। 

उन्होंने उदाहरण दिया पंजाब में भूमिगत जल निकालने के लिए जितनी क्षमता की मोटर प्रयोग होता है, दुबई में तेल निकालने के उतनी क्षमता की मोटर का प्रयोग होता है। सीएम ने कहा कि पंजाब ग्राउंड वाटर पानी को बचाने के लिए प्रयास किए जा रहे है। पुराने नालों, रजवाहों को संवारा जा रहा है। नए डैम बनाए जा रहे हैं। ताकि हम अपनी जरूरतों को पूरा कर पाएं। जबकि हरियाणा ऐसा नहीं कर पाया है। सीएम ने बताया कि पंजाब को 52 एमएफ पानी चाहिए। लेकिन राज्य के पास साढे 14 एमएफ रह गया है। ऐसे में हम पानी नहीं दे सकते हैं। 

उन्होंने कहा कि ऐसे में पंजाब में नहर बनाने का कोई फायदा नहीं है। हम चार जनवरी को होने वाले सुनवाई में अपना रख देंगे। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद केंद्र फिर से इस मामले की मध्यस्थता कर रहा है। आज बैठक में केंद्रीय मंत्री शेखावत मौजूद रहे । सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार को काफी लताड लगाई थी। अब इस मामले की मीटिंग के बाद जनवरी के पहले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेंगे।

SYL मुद्दे पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल कहते आए हैं कि एसवाईएल के निर्माण का राज्यों के बीच जल बंटवारे से कोई लेना-देना नहीं है। सीएम का कहना पानी नहीं, हमारा नहर बनाने पर रहेगा जोर रहेगा। पानी के बंटवारे का विवाद अलग है, जो प्राधिकरण हल करेगा। 

हरियाणा सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि एसवाईएल को लेकर चार अक्तूबर को सर्वोच्च न्यायालय ने एक विस्तृत आदेश पारित किया है। इसमें सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि निष्पादन जल के आवंटन से संबंधित नहीं है।

जानें क्या है SYL विवाद, कब कब क्या हुआ

SYL नहर का पूरा विवाद पंजाब ने हरियाणा से 18 नवंबर,1976 को 1 करोड़ रुपए लिए और 1977 को SYL निर्माण मंजूरी दी।


बाद में पंजाब ने SYL नहर के निर्माण को लेकर आनाकानी करनी शुरू कर दी।


1979 में हरियाणा ने SYL के निर्माण की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।


पंजाब ने 11 जुलाई, 1979 को पुनर्गठन एक्ट की धारा 78 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी।


1980 में पंजाब सरकार बर्खास्त होने के बाद 1981 में PM इंदिरा गांधी की मौजूदगी में दोनों राज्यों का समझौता हुआ।


1982 में इंदिरा गांधी ने पटियाला के गांव कपूरी में टक लगाकर नहर का निर्माण शुरू करवाया।


इसके विरोध में शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने SYL की खुदाई के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया।


1985 में राजीव-लोंगोवाल समझौता हुआ, जिसमें पंजाब नहर के निर्माण पर सहमति जताई गई।


1990 में 3 जुलाई SYL के निर्माण से जुड़े दो इंजीनियरों की भी हत्या कर दी गई।


हरियाणा के तत्कालीन CM हुक्म सिंह ने केंद्र सरकार से मांग की कि निर्माण का काम BSF को सौंपा जाए।


1996 में सुप्रीम कोर्ट ने 2002 को पंजाब को एक वर्ष में SYL नहर बनवाने के निर्देश दिए।


2015 में हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई के लिए संविधान पीठ बनाने का अनुरोध किया।


2016 में गठित 5 सदस्यों की संविधान पीठ ने पहली सुनवाई के दौरान सभी पक्षों को बुलाया।


8 मार्च को दूसरी सुनवाई में पंजाब में 121 किमी लंबी नहर को पाटने का काम शुरू हो गया।


19 मार्च तक सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति के आदेश देते हुए नहर पाटने का काम रुकवा दिया।


2019 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों राज्य नहर का निर्माण नहीं करते हैं तो कोर्ट खुद नहर का निर्माण कराएगा।


अभी 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए नोटिस जारी किया है।

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