Uttarakhand Tunnel Rescue Operation: टनल में फंसे 41 मजदुर आ सकते है कभी बाहर, महज चंद मीटर दूर है ड्रिल मशीन से

उत्तराखंड की सिल्क्यारा-डंडालगांव टनल में 12 नवंबर से फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए कोशिशें तेज हो गई हैं। एक साथ वर्टिकल और हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग की जा रही है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अब तक अच्छे परिणाम मिले हैं, सब ठीक रहा तो अगले 24 घंटे में अच्छी खबर मिल सकती है।
 
टनल में फंसे 41 मजदुर आ सकते है कभी बाहर

Uttarakhand Tunnel Rescue Operation: उत्तराखंड की सिल्क्यारा-डंडालगांव टनल में 12 नवंबर से फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए कोशिशें तेज हो गई हैं। एक साथ वर्टिकल और हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग की जा रही है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अब तक अच्छे परिणाम मिले हैं, सब ठीक रहा तो अगले 24 घंटे में अच्छी खबर मिल सकती है।

टनल के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग 40 मीटर तक हो चुकी है। अब 46 मीटर और होनी है। मजदूरों तक पहुंचने के लिए 86 मीटर की वर्टिकल ड्रिलिंग होनी है।

उधर, रैट माइनर्स को हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग में भी कामयाबी मिली है। सोमवार शाम से अब तक करीब 3 मीटर मैनुअल ड्रिलिंग की गई। सुरंग बचाव माइक्रो टनलिंग एक्सपर्ट क्रिस कूपर ने कहा, ' कल रात रेस्क्यू का काम बहुत अच्छा रहा। अब तक रेस्क्यू के नतीजे बहुत सकारात्मक है।'

सीएम धामी ने बताया कि मंगलवार सुबह तक 52 मीटर तक खुदाई हो चुकी है। अब मजदूरों से 7 से 8 मीटर दूरी रह गई है।

शुक्रवार यानी 24 नवंबर को मजदूरों की लोकेशन से महज 12 मीटर पहले मशीन की ब्लेड्स टूट गई थीं। इस वजह से रेस्क्यू रोकना पड़ा। बता दें 12 नवंबर को निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था। इसके चलते सुरंग में काम कर रहे 41 मजदूर अंदर फंस गए थे।

मोदी बोले- टनल में फंसे मजदूरों के लिए प्रार्थना करें

हैदराबाद में सोमवार को पीएम मोदी ने कहा, 'फंसे हुए श्रमिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। आज जब हम भगवान से प्रार्थना करते हैं और मानवता के कल्याण की बात करते हैं तो हमें अपनी प्रार्थना में उन श्रमिक भाइयों को भी शामिल करना चाहिए जो उत्तराखंड की एक सुरंग में फंसे हुए हैं।'

6 रैट माइनर्स ने सोमवार रात 12 घंटे खुदाई की, हाथ से मिट्टी हटा रहे

टनल के अंदर रैट माइनर्स मैन्युअल खुदाई कर रहे हैं। सोमवार को रात भर खुदाई कर रेट माइंस ने तकरीबन 47 मीटर से आगे 51 मीटर तक मिट्टी हटाई। इस पूरे ऑपरेशन में रैट माइनर्स के 6 सदस्य काम कर रहे हैं।
रैट माइनर्स खुदाई करने के लिए बारी-बारी से पाइप के अंदर जाते हैं, फिर हाथ के सहारे छोटे फावड़े से खुदाई करते हैं और छोटी ट्राली से एक बार में तकरीबन 7 से 8 किलो मलबा लेकर बाहर आते हैं।

पाइप के अंदर इन सबके पास बचाव के लिए ऑक्सीजन मास्क, आंखों की सुरक्षा के लिए विशेष चश्मा और हवा के लिए एक ब्लोअर भी मौजूद रहता है ताकि अंदर किसी तरह की कोई दिक्कत ना हो।

रैट माइनर्स पर मैन्युअल ड्रिलिंग की जिम्मेदारी

दिल्ली के रहने वाले मुन्ना अपने सहयोगी रैट माइनर्स के साथ सिल्क्यारा टनल साइट पर पहुंच चुके हैं। ये वर्कर रॉकवेल कंपनी में काम करते हैं। ये लोग मैन्युअल ड्रिलिंग के एक्सपर्ट वर्कर हैं। ये 2-2 के ग्रुप में टनल पैसेज में जाएंगे और बची हुई 12 मीटर की हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग को हाथों से अंजाम देंगे। मुन्ना के मुताबिक ये सभी टनल के अंदर जाकर ड्रिलिंग के लिए तैयार हैं।

टनल के अंदर फंसे 41 मजदूरों पर नजर रखने के लिए रोबोटिक्स की मदद ली जा रही है। इसके लिए लखनऊ से AI एंड रोबोटिक्स डेवलपर मिलिंद राज को बुलाया गया है।

मिलिंद ने बताया- हम तीन बड़े काम करेंगे। एक- मजदूरों के बिहैवियर और उनकी हेल्थ को 24X7 मॉनिटर करेंगे। टनल के अंदर फंसे मजदूरों की हताशा की स्थिति को डिटेक्ट करेंगे। दूसरा- टनल के अंदर अगर कोई गैस निकल रही है तो उसे डिटेक्ट करेंगे। तीसरा- टनल के अंदर जहां नेटवर्क भी ठीक से नहीं मिल पा रहा है, वहां हम हाईस्पीड इंटरनेट सिस्टम देंगे।

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